कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ बता दिया, इसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया और दोनों देशों ने ही एक-दूसरे के टॉप डिप्लोमेट्स को निष्कासित कर दिया। वैसे ये पहला मौका नहीं है जब भारत ने पलटवार करते हुए किसी पश्चिमी देश के डिप्लोमेट को हटाया है।
विएना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमेटिक रिलेशन्स में इसका साफ जिक्र है। इसके आर्टिकल 9 में लिखा है कि मेजबान मुल्क कभी भी उसे पर्सोना नॉन ग्रेटा डिक्लेयर कर सकता है, यानी जिसका होना उसे स्वीकार नहीं।
होस्ट देश उसे एक औपचारिक चिट्ठी देते हैं, जिसमें लिखा होता है कि उसे कितनी देर या कितने दिनों के भीतर देश छोड़ना होगा। कई बार डिप्लोमेट्स पर या आतंकवाद से जुड़े होने का भी आरोप लगता है, ऐसे में उसे महज कुछ ही घंटों का वक्त मिलता है और देश से रवाना होना पड़ता है।
अगर आरोप गंभीर हो तो संबंधित देश से बात करके उसकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
अमेरिका के साथ भी हो चुका है एक्शन
साल 2013 में अमरीका में भारतीय विदेश सेवा अधिकारी देवयानी खोब्रागढ़े का मामला खूब उछला था। इसके बाद अमेरिका ने डिप्लोमेटिक इम्युनिटी को नजरअंदाज करते हुए देवयानी को हथकड़ी पहना दी थी। यहां तक कि निष्कासन के बाद भारत के रास्ते में स्ट्रिप एंड सर्च का आदेश दिया गया, यानी कपड़े उतारकर डिप्लोमेट की तलाशी ली गई।
इस घटना पर भारत काफी भड़का था और दिल्ली में अमेरिकी एबेंसी को खाली करने का आदेश दे दिया था। इसके बाद भारत-अमेरिका का रिश्ता काफी खराब हुआ था, जिसे वापस पटरी पर आने में काफी समय लगा।