भारतीय लोकसभा चुनाव, एक नज़र

भारतीय लोकसभा में सदन की सदस्य संख्या 543 है। जिसमें 84 सीटें अनुसूचित जाति और 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। यहां तक कि भारतीय लोकसभा की कुल 543 सदस्यों में 530 सदस्य राज्य प्रतिनिधि हैं, 13 केंद्रशासित प्रदेशों से हैं, और 2 राष्ट्रपतियों द्वारा नामित होते हैं, जो एंग्लो-इंडियन समुदाय से हैं।

भारत के राष्ट्रपति को लोकसभा में 2 सदस्यों को नामांकित करने का अधिकार है। यदि राष्ट्रपति को लगता है कि कोई भी एंग्लो-इंडियन समुदाय का सदस्य लोकसभा में निर्वाचित नहीं हुआ है, तो वह 2 सदस्यों को नामांकित कर सकता है।

लोकसभा में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि सीधे क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों से नागरिकों द्वारा चुने जाते हैं। यह चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांत पर आधारित है। जिसमें 18 वर्ष की आयु पार कर चुका प्रत्येक भारतीय नागरिक मतदान करने का पात्र है। पहले मतदान की उम्र 21 वर्ष थी, लेकिन बाद में 61वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1988 के बाद इसे घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया।

राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के प्रतिनिधि सीधे क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों से निर्वाचित सदस्यों की संख्या में योगदान। भारतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के निर्वाचन क्षेत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में 80, महाराष्ट्र में 48, पश्चिम बंगाल में 42, बिहार में 39, तमिलनाडु में 38, मध्य प्रदेश में 29, कर्नाटक में 28, गुजरात में 26, और राजस्थान में 25 सांसद हैं।

केंद्र शासित प्रदेशों के निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या में भी योगदान। इनमें दिल्ली में 7, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 1, चंडीगढ़ में 1, दादरा और नगर हवेली में 1, लद्दाख में 1, लक्षद्वीप में 1, पुदुचेरी में 1, और जम्मू और कश्मीर में 1 सांसद हैं।

यह चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के सिद्धांत पर आधारित है, जिसमें 18 वर्ष की आयु पार कर चुके प्रत्येक भारतीय नागरिक का मतदान करने का पात्र है। पहले मतदान की उम्र 21 वर्ष थी, लेकिन बाद में 61वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1988 के बाद इसे घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया है।