एमपी उच्च न्यायालय: एक बुजुर्ग महिला को 38 साल पुराने सरकारी जमीन का पट्टा देकर भूमि स्वामी का अधिकार प्रदान किया

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने एक बुजुर्ग महिला को राहत देते हुए उसकी जमीन पर हॉस्टल बनाने के मामले में स्थगित कर दिया है। यह जमीन सरकार ने 38 साल पहले महिला को दी थी, लेकिन अब प्रशासन इसे खाली करवाना चाहता है।

38 साल पहले सरकार ने जमीन का पट्टा देकर भूमि स्वामी का अधिकार प्रदान किया था। अब वह अतिक्रमणकारी बताकर उस जमीन पर निवास कर रहा है। वृद्ध आदिवासी महिला ने याचिका दायर की है और हाईकोर्ट जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस अंजली पालो की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी करके कार्रवाई पर रोक लगाई है।

टीकमगढ निवासी आदिवासी महिला दुर्जी बाई ने दायर याचिका में बताया है कि सरकार ने साल 1985 में उन्हें ग्राम देरी में जमीन प्रदान की थी, जिसका खसरा क्रमांक 1668/1 है। सरकार ने उन्हें जमीन का पट्टा तथा भूमि स्वामी का अधिकार भी प्रदान किया था। अब उनके गांव में आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा हॉस्टल बनाने की योजना है, जिसके लिए खसरा क्रमांक 1668 की जमीन आवंटित की गयी है। याचिका में इस बात को भी कहा गया है कि तहसीलदार द्वारा मार्च 2023 में उन्हें नोटिस जारी किया गया है, जो उन्हें परेशानी में डाल रहा है।

तहसीलदार नोटिस में बताते हुए आदेश दिए गए हैं कि दुर्जी बाई सरकारी जमीन से अपना अतिक्रमण हटा ले। याचिका में प्रदेश सरकार के राजस्व विभाग, आदिवासी कल्याण विभाग, जिला कलेक्टर, तहसीलदार सहित अन्य को अनावेदक बनाया गया है। युगलपीठ ने जारी नोटिस पर स्थगन आदेश जारी करने हुए अनावेदकों को नोटिस जारी कर जबाव मांगा है। धर्मेन्द्र सोनी, याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता ने पैरवी की।