संजय गाँधी अस्पताल में जारी है दवाइयों की किल्लत , मरीज भगवान भरोसे !

संजय गांधी अस्पताल के मरीजों को दवाइयां नहीं मिल रही हैं। अस्पताल में भर्ती मरीजों को भी दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। ओपीडी में तो संकट बना ही हुआ था अब इसकी आंच आईपीडी तक पहुंच गई है। यहां गरीब लोग भी बाहर से महंगी दवाइयां खरीदने को मजबूर हैं। अब तक दवा की सप्लाई बहाल नहीं हो पाई है। ऐसा पहली बार है जब इतने बुरे हालात से संजय गांधी अस्पताल गुजर रहा है। कोविड में भी यहां दवाइयों की कमी नहीं थी। लिक्विड आक्सीजन के लिए जहां देशभर में मारामारी मची थी, वहीं रीवा मेडिकल कॉलेज सरप्लस में चल रहा था। लेकिन अब यह अस्पताल और यहां आने वाले मरीज दवाइयों को लेकर संकट से गुजर रहे हैं। पिछले तीन महीनों से शासन से किसी तरह का बजट नहीं मिला। इसके कारण दवाइयों का आर्डर नहीं हो पाया। हालात ऐसे हुए कि अब किसी तरह की दवाइयां यहां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। लोगों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। निःशुल्क मिलने गरीबों के सामने वाली दवाइयां भी खत्म हो गई हैं। अब सबसे बड़ी समस्या सिर्फ सलाह ही दी जा रही है। डॉक्टर हालांकि अब भी भी निःशुल्क मिलने वाली दवाइयां ही पर्ची में लिखते हैं, लेकिन काउंटर पर दवाइयां मिलती ही नहीं है। इसके कारण मरीजों को बाहर से खरीदी करना पड़ता है।

सप्लाई का कर रहे हैं इंतजार : शासन से तीन महीने बाद अब जाकर बजट मिला है। दवाइयों के लिए करीब डेढ़ करोड़ का बजट मिला है। बजट मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने दवाइयों का आर्डर भी दे दिया है। हालांकि अब तक दवाइयां नहीं आ पाई है। इसके कारण ही यह समस्या खड़ी हो रही है। जब तक दवाइयां नहीं आएंगी। तब तक यह समस्या खड़ी ही रहेगी। दवा का संकट खड़ा होने के कारण सबसे बड़ी परेशानी गरीबों के सामने खड़ी हो गई है। गरीबों के पास इलाज कराने के लिए रुपए नहीं हैं। आयुष्मान कार्ड है लेकिन दवाइयों पर यह लागू नहीं हो रहा है। दवाइयां भी बाहर से खरीदनी पड़ रही हैं। आयुष्मान कार्ड रजिस्टर्ड होने के बाद जांच ही निः शुल्क हो पाती है लेकिन दवाइयां जेब से ही खरीदी पड़ रही हैं।