सतना का वीर सपूत विवेक पांडेय लद्दाख में शहीद

सतना जिले के करही कला गांव में निवास करने वाले 25 वर्षीय विवेक पांडे ने सतत प्रयासों और संकल्प से सेना में भर्ती होकर अपने मातृभूमि की सेवा का अद्वितीय प्रतीक स्थापित किया। वह सात साल पहले सेना में शामिल हो गए थे और शीघ्र ही वे सिपाही के पद पर तैनात हो गए।

आखिरी शनिवार को ड्यूटी के दौरान लद्दाख में एक दुर्घटनाग्रस्त स्थल पर उनकी साहसी गाड़ी, जिसमें वे सख्त बर्फबारी के बीच ड्राइव कर रहे थे, खाई में गिर गई। इस दुर्घटना में विवेक पांडे घायल हो गए। उन्हें तुरंत एक अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन उनकी चिकित्सा के दौरान ही उनकी शहादत हो गई। यह दुखद समय गांव के सभी लोगों के लिए अत्यंत दुखद और शोकपूर्ण साबित हुआ।

विवेक पांडे की शहादत की सूचना आते ही पूरे गांव में शोक की लहर छाई, और उनके परिवार के सदस्यों के दिल में अद्वितीय कष्ट बस गया। उनके परिजन रोते-रोते उनके प्रति अपनी आखों से श्रद्धांजलि देते हुए उनकी यादों में खो गए हैं।

शहीद विवेक पांडे के परिवार में उनकी मां, पिता और बड़े भाई शामिल हैं। उनके पिता, राम लखन पांडे, कर्नाटक में पुजारी के पद पर सेवा करते हैं, जबकि उनके बड़े भाई आशीष पांडे गांव में ही खेती-बाड़ी का काम करते हैं। विवेक पांडे की शवयात्रा की तारीख पर उनके गांव में उनके सम्मान में एक अद्वितीय आयोजन होने का अनुमान है, जहां वे अंतिम यात्रा के लिए तैयार किए जाएंगे और उन्हें उनके सेना सम्मान के साथ अंतिम संस्कार दिया जाएगा।

विवेक पांडे की शहादत के साथ ही हमें उनके साहस और बलिदान की महत्वपूर्ण शिक्षा मिलती है कि हमें अपने देश के लिए किस प्रकार से अपने जीवन का सर्वोत्तम समर्पण करना चाहिए। उनकी शहादत हमें गर्व महसूस कराती है और हमें याद दिलाती है कि हमें अपने वीर जवानों के प्रति सदैव कृतज्ञ रहना चाहिए।

शहीद विवेक पांडे के परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएँ हैं और हमें उनके साथ सहयोग और समर्थन में खड़े रहना चाहिए। उनकी शहादत से हमें एक अद्वितीय सिख मिलती है – कि हमें अपने देश के लिए बलिदान के रास्ते पर अड़िग रहना चाहिए, चाहे वो कितने भी कठिन क्यों न हों।