रीवा जिले के गोविंदगढ़ में शक्तिपुत्र जी महाराज के आगमन पर श्रद्धालुओं, धर्म प्रेमी जनता (महिलाओं और पुरुषों सहित) ने किया बड़ी भव्यता से स्वागत, लोगों ने शंख ध्वनि फूलों के रंगोली बनाकर, बैंड बाजे के साथ बड़े उत्साह से स्वागत किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। लोगों ने नशा और मांस से मुक्त होकर चरित्रवान होने का संकल्प लिया।
आपको बता दें कि शक्तिपुत्र जी महाराज को भक्त धर्मसम्राट युगचेतना पुरुष योगीराज श्री शक्तिपुत्र महाराज बुलाते हैं। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के पंचज्योति शक्तितीर्थ सिद्धाश्रम धाम उनका आश्रम है और भगवती मानव कल्याण संगठन नाम से संस्था चलाते हैं। जो देश भर में नशा मुक्ति और अध्यात्म को लेकर प्रचार-प्रसार कर करते हैं।
शक्तिपुत्र महाराज के देश भर में लगभग 10 लाख अनुयायी और लगभग 1 लाख स्वयं सेवक हैं। 9 दिसंबर 1960 को उनका जन्म फतेहपुर जिले के भद्रवास गांव में हुआ। उनके बचपन का नाम रामबरन शुक्ल है। शक्तिपुत्र महाराज का दावा है कि उन्हें मां दुर्गा ने दर्शन दिए हैं। मां दुर्गा ने ही उनका नाम शक्तिपुत्र रखा है। शक्तिपुत्र महाराज का पुरा परिवार भी इस संगठन से जुड़ा है।
शक्तिपुत्र जी महाराज का दावा है कि, मैंने ध्यान के जरिए जाना की 100 में से 99 प्रतिशत कथावाचक चरित्रहीन है।