शराब दुकानों में रेट लिस्ट नहीं: सरकारी ठेकों में जारी है अवैध वसूली का खेल

सरकारी ठेकों में रेट सूची का कोई अता पता नहीं है, अंग्रेजी शराब और बीयर की दुकानों में हर एक की अलग-अलग रेट होता है, जिससे मनमानी वसूली का खेल खेला जा रहा है। यह खेल सरकारी ठेकों पर अवैध रूप से चल रहा है, जहाँ शराब की कीमतें प्लेसमेंट कंपनियों के इच्छानुसार तय की जा रही हैं। व्यापारियों द्वारा ग्राहकों से रेट में वृद्धि के आधार पर मनमानी वसूली की जा रही है, जिसमें 50-100 रुपए तक की राशि शामिल हो सकती है। आबकारी नीति के अनुसार, दुकानों पर शराब की कीमत को सूची में दिखाना अनिवार्य है, लेकिन यह नियम बाधित हो रहा है और कुछ दुकानों पर ऐसी सूची नहीं दिखाई जा रही है।

इन दुकानों के मुनाफे की व्याख्या भी चौंकाने वाली है। इनके मुनाफे की गणना करने पर पता चलता है कि इन्हें वसूली में मनमानी तरीके से विशेष मुनाफा हो रहा है। इन दुकानों से हर दिन 10-15 लाख रुपए से अधिक का अवैध मुनाफा होता है, जैसे कि किसी बोतल की कीमत से 100-150 रुपए का मुनाफा कमाया जा रहा है।

शराब दुकान संचालकों का दावा है कि ब्रांड की सूची में अंग्रेजी और देशी शराब के लगभग 928 ब्रांड होते हैं, और इनकी रेट सूची प्राप्त करना कठिन है। इसलिए, उन्हें उन ब्रांडों की रेट बताने की अनुमति है जो अधिक बिकते हैं, हालांकि यह तर्क नियमों के विपरीत है। अबकारी विभाग के अधिकारियों के पास इस समस्या के बारे में जानकारी होने के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। अबकारी विभाग ने दुकानों के बाहर रेट सूची चस्पा करने के निर्देश जारी किए थे, लेकिन इसे लागू करने में कुछ दुकानदारों ने सक्षमता का विरोध किया है। अतः, शहरी इलाकों में अधिकारी-कर्मचारी अद्यतन होने के बावजूद भी इस समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।